Wednesday, May 20, 2009

चलो दरवाजों को दस्तक दें .......

आज इस देश मैं जब हिंद्दुत्व की बात करने वालों को अछूत का दर्जा दिया जाता है और उन्हें समाज से दरकिनार करने के प्रयास किए जाते हैं मैं यह अपराध स्वीकार करना चाहता हूँ की हाँ मैं हिंदुत्व का हिमायती हूँ ,मगर जब हम हिंदुत्व की बात करते हैं हों तो मैं एक बात स्पष्ट करना चाहूँगा की हमें उस विचारधारा का समर्थन करना चाहिए जो मज़बूरी न बन जाए ,बाकि समाज से मजबूरियों को दूर कर सके ऐसी विचारधारा को आगे बढ़ाना चाहिए ,,,अब हिंदुत्व की बात शुरू हुई है तो मैं यह नही मानता की सभाओं मैं वरुण गाँधी की तरह गला फाड़ने से हिन्दुओं का भला होगा और ना ही सत्ता के मकसद से हिंदुत्व मतों का ध्रुवीकरण करने से ,जहाँ आपके प्रयासों के पीछे स्वार्थपूर्ति की मनसा होगी तो मात्र आप अपनी विचारधारा को ही मलिन करेंगे , हमारे देश मैं हिंदुत्व को राजनेतिक दलों नै भी हथियार बनाना चाह मगर भेडिए ज्यादा दिन खाल ओढ़कर नही रह सकते ,
भारतीय जनता पार्टी जिस सिद्धांतों पर पनपी थी सत्ता प्राप्ति की हौड मैं उन सिद्धांतों पर अवसर वाद की परतें चढ़ती गयी और आज इस पार्टी की दयनीय दशा इस बात की साक्षी है की हिंदुत्व की भावनाओ के सहारे आप अपना मकसद पूर्ण करने का प्रयास न करें ,हिंदुत्व के हिमायतियों को अब यह dhyan रखने की जरुरत है की कुछ करने के लिए गला फाड़ने की जरुरत नही है ,सेवा ही मूलमंत्र हे और पहले हिंदू समाज से हमें मजबूरियों को दूर करने की जरुरत हे ,dahej pratha ,jativaad और smajik nyay को सही तरह से naye disha dene ki jarurat he ,,
हम अगर durdaraj के लोगों से judte हैं तो हमें chillane की जरुरत नही है ,लोगों के लोगों के दरवाजों पर दस्तक देने की जरुरत है ताकि हम हिन्दुओं के दिलों को दस्तक दे सकें ,,जो हिन्दू सालों से उपेक्षित हैं उन्हें स्पर्श करने की जरुरत है ,अगर हमने ऐसा कर लिया तो हमें धर्मांतर विरोधी कानून की जरुरत नहीं पड़ेगी और ना ही हमें हिंदुत्व वोटों के ध्रुवीकरण की जरुरत पड़ेगी .........

Tuesday, May 19, 2009

चलो अच्छा ही हुआ ......

चलो अच्छा ही हुआ की इस चुनाव मैं बीजेपी की हार हुए कम से कम सेकुलरिस्म का दंभ भरते पत्रकरों और उनके राजनेतिक आकाओं को आक्सीजन तो मिला ,कम से कम उन्हें भी हिंदुस्तान मैं जीने का मकसद तो मिला, बीजेपी के उन नेताओं को जो वातानुकूलित कमरों मैं बैठकर यह निश्चय करते हैं की किस तरह चुनाव से ठीक पहले यह निश्चित करते हैं की कब हिंदुत्व के मुद्दे को उठाया जाये और कब उससे अपना पाला झाड़ लिया जाये , अवसरवाद की राजनीत जब चर्म सीमा पर पहुँच जाती है तो कुछ ऐसे ही परिणाम होते हैं, मगर इसका मतलब यह कतई नहीं है की आप सभी तथाकथित सेकुलर पत्रकार हिंदुत्व की राजनीत को ही गलत साबित कर दें, और फिर क्यूँ भला हिंदुत्व की राजनीत को आप गलत कहते हैं??? जब जातिवाद की राजनीती गलत नहीं है,अल्पसंख्यकों के नाम पर राजनीती गलत नहीं है तो फिर हिंदुत्व की राजनीत गलत केसे ? चलो हिन्दू बहुसह्न्ख्यक सही पर उससे यह तो साबित नहीं होता की उन्हें कोई तकलीफ ही नहीं देश में,बीजेपी की दुर्गति उनके दोगले पन के कारन हुई न की हिंदुत्व की विचारधारा के कारन,
अब बाबर के हिमैती लोगों को बहाना मिल गया गला फाड़कर गरियाने का खुसी मनाएं आखिर मौका मिला हे आपको ,,आप लोग तो तब से खुशियाँ मन रहें हैं जब देश का बटवारा हुआ था और आज भी परिवारवाद की राजनीत से अपने आप को पर उठा नहीं रहे ,,आखिर क्यूँ भूलें हम की हम पहले भी गुलाम थे और आज भी गुलाम,मानसिकता वोही गुलामों की रहेगी और लोकतंत्र कहाँ हे जरा धुन्धकर तो दिखाएँ देश मैं??यह देश परिवार को सौंप दिया हमने और हमारे बच्चों को येही सिखाना रह गया है की वो हमेशा नतमस्तक रहे गाँधी परिवार के सामने क्यूंकि वो हमारे माई बाप हैं ,इस देश मैं हिंदुत्व की बात मत करना वर्ना धर्मनिपेक्षता के सरंक्षक तुम्हे अछूत का दर्जा दे देंगे ,और हिंदुत्व के नाम पर जब अवसरवाद की राजनीत होगी तो यूँ ही अर्थियों की गिनती होगी और हम ताल ठोकर कह सकेंगे देखा हिंदुत्व का हस्र ,,चलो बीजेपी ने सभी धर्मनिपेक्षता का दिन्धोरा पिटते ढोलियों को मौका तो दिया नाचने का....

Monday, May 18, 2009

मोदी को गाली देने का मौका तो मिला ......

राजनीत मैं अगर आप अपने सिद्धातों को लेकर आगे बढ़ते हैं तो हार या जीत तो निश्चित है मगर इसका मतलब यह नहीं की आप विचलित हो जाएँ और अपने सिद्धांतों से भटक जाएँ ,,बीजेपी भी अपने सिद्धातों से भटकी और इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा ,,पता नहीं क्यूँ आप लोग इसका टोकरा नरेन्द्र मोदी और वरुण गाँधी कई सर फोड़ रहें हैं??वरुण की भाषा गलत हो सकती है बेसक मगर वो येही मुद्दे है जो हिंदुत्व कई प्रचार और एकता के लिए कार्यरत संघ जुटी हुए है ,,इस देश की राजनीत दो तरह से विभाजित हो गए है सेकुलर और नॉन सेकुलर ,,अप्प लोगों नै किस बिनाह पर लालू ,मुलायम,मायावती,शरद यादव जैसे नेताओं को सेकुलर का तमगा पहना दिया ??इन लोगों ने हमेशा से नफरत की राजनीती ही की है,,और बीजेपी कई साथ ऐसा तो होना ही था क्यूंकि यह बीजेपी सिर्फ भगवा कांग्रेस बनकर रह गए है इस पार्टी नै सत्ता के लिए सिद्धांतों से समझोता किया ,,बीजेपी की हार की नींव उसी दिन पद गए थी जब सत्ता के मोह मैं उसने अपने मनिफेस्तो को दरकिनार कर अवसरवाद की राजनीत शुरू कर दी ,उसमे एक ईंट और जुड़ गयी जब रास्त्रवाद की बात करने वाली पार्टी कंधार मैं जाकर देश का मजाक बना कर आये थी ,,अडवाणी जी ने अपनी हार की शुरुआत उसी दिन कर दी थी जब उन्होंने जिन्न्हा की दरगह पर आंसू गिराए थे ,,उत्तर प्रदेश से राजनाथ सिंह ने कब का अपना नाता तोड़ लिया था ,,तो फिर देश की जनता इतना बेवकूफ तो नहीं है की बीजेपी के दोगलेपन को बर्दास्त करती ,,इसे मौका मत बनाईये हिंदुत्व की राजनीत को गाली देने का यह हिंदुत्व की नहीं बीजेपी के दोगलेपन की हार है ,,जनता को अंगूठा दिखने वालों की हार है ,,सेकुलरिस्म की बात करने वालों की भी हार है ,इसलिए तो लालू जैसे नेताओं को अब ब्लाच्क्मैलिंग का मौका नहीं मिलेगा ,,इसलिए सेकुलरिस्म का झुटा दंभ मत भरिये क्यूंकि जनता किसी को नहीं छोड़ती .........