चलो अच्छा ही हुआ की इस चुनाव मैं बीजेपी की हार हुए कम से कम सेकुलरिस्म का दंभ भरते पत्रकरों और उनके राजनेतिक आकाओं को आक्सीजन तो मिला ,कम से कम उन्हें भी हिंदुस्तान मैं जीने का मकसद तो मिला, बीजेपी के उन नेताओं को जो वातानुकूलित कमरों मैं बैठकर यह निश्चय करते हैं की किस तरह चुनाव से ठीक पहले यह निश्चित करते हैं की कब हिंदुत्व के मुद्दे को उठाया जाये और कब उससे अपना पाला झाड़ लिया जाये , अवसरवाद की राजनीत जब चर्म सीमा पर पहुँच जाती है तो कुछ ऐसे ही परिणाम होते हैं, मगर इसका मतलब यह कतई नहीं है की आप सभी तथाकथित सेकुलर पत्रकार हिंदुत्व की राजनीत को ही गलत साबित कर दें, और फिर क्यूँ भला हिंदुत्व की राजनीत को आप गलत कहते हैं??? जब जातिवाद की राजनीती गलत नहीं है,अल्पसंख्यकों के नाम पर राजनीती गलत नहीं है तो फिर हिंदुत्व की राजनीत गलत केसे ? चलो हिन्दू बहुसह्न्ख्यक सही पर उससे यह तो साबित नहीं होता की उन्हें कोई तकलीफ ही नहीं देश में,बीजेपी की दुर्गति उनके दोगले पन के कारन हुई न की हिंदुत्व की विचारधारा के कारन,
अब बाबर के हिमैती लोगों को बहाना मिल गया गला फाड़कर गरियाने का खुसी मनाएं आखिर मौका मिला हे आपको ,,आप लोग तो तब से खुशियाँ मन रहें हैं जब देश का बटवारा हुआ था और आज भी परिवारवाद की राजनीत से अपने आप को पर उठा नहीं रहे ,,आखिर क्यूँ भूलें हम की हम पहले भी गुलाम थे और आज भी गुलाम,मानसिकता वोही गुलामों की रहेगी और लोकतंत्र कहाँ हे जरा धुन्धकर तो दिखाएँ देश मैं??यह देश परिवार को सौंप दिया हमने और हमारे बच्चों को येही सिखाना रह गया है की वो हमेशा नतमस्तक रहे गाँधी परिवार के सामने क्यूंकि वो हमारे माई बाप हैं ,इस देश मैं हिंदुत्व की बात मत करना वर्ना धर्मनिपेक्षता के सरंक्षक तुम्हे अछूत का दर्जा दे देंगे ,और हिंदुत्व के नाम पर जब अवसरवाद की राजनीत होगी तो यूँ ही अर्थियों की गिनती होगी और हम ताल ठोकर कह सकेंगे देखा हिंदुत्व का हस्र ,,चलो बीजेपी ने सभी धर्मनिपेक्षता का दिन्धोरा पिटते ढोलियों को मौका तो दिया नाचने का....
Tuesday, May 19, 2009
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